असली दहेज Asli dahej
किसी भी लड़की की सुदंरता उसके चेहरे से ज्यादा दिल की होती है। अशोक भाई ने घर में पैर रखा....‘अरी सुनती हो !' आवाज सुनते ही अशोक भाई की पत्नी हाथ में पानी का गिलास लेकर बाहर आई और बोली- "अपनी बिटिया का रिश्ता आया है, अच्छा-भला इज्जतदार सुखी परिवार है, लड़के का नाम युवराज है। बैंक में काम करता है। बस बेटी हां कह दे तो सगाई कर देते हैं." बेटी उनकी एकमात्र लडकी थी. घर में हमेशा आनंद का वातावरण रहता था। कभी-कभार अशोक भाई की सिगरेट व पान मसाले के कारण उनकी पत्नी और बेटी के साथ कहा-सुनी हो जाती थी, लेकिन अशोक भाई मजाक में टाल देते थे। बेटी खूब समझदार और संस्कारी थी। S.S.C पास करके टयूशन व सिलाई आदि करके पिता की मदद करने की कोशिश करती रहती थी। अब तो बेटी ग्रेजुएट हो गई थी और नौकरी भी करती थी, लेकिन अशोक भाई उसकी पगार में से एक रुपया भी नही लेते थे। रोज कहते थे ‘बेटी यह पगार तेरे पास रख तेरे भविष्य में तेरे काम आएगी।' दोनों घरों की सहमति से बेटी और युवराज की सगाई कर दी गई और शादी का मुहूर्त भी निकलवा दिया गया. अब शादी के पन्द्रह दिन और बाकी थे. अशोक भाई ने बेटी को पास में बिठ