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जुलाई, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

असली दहेज Asli dahej

किसी भी लड़की की सुदंरता उसके चेहरे से ज्यादा दिल की होती है। अशोक भाई ने घर में पैर रखा....‘अरी सुनती हो !' आवाज सुनते ही अशोक भाई की पत्नी हाथ में पानी का गिलास लेकर बाहर आई और बोली- "अपनी बिटिया का रिश्ता आया है, अच्छा-भला इज्जतदार सुखी परिवार है, लड़के का नाम युवराज है। बैंक में काम करता है।  बस बेटी हां कह दे तो सगाई कर देते हैं." बेटी उनकी एकमात्र लडकी थी. घर में हमेशा आनंद का वातावरण रहता था। कभी-कभार अशोक भाई की सिगरेट व पान मसाले के कारण उनकी पत्नी और बेटी के साथ कहा-सुनी हो जाती थी, लेकिन अशोक भाई मजाक में टाल देते थे। बेटी खूब समझदार और संस्कारी थी। S.S.C पास करके टयूशन व सिलाई आदि करके पिता की मदद करने की कोशिश करती रहती थी। अब तो बेटी ग्रेजुएट हो गई थी और नौकरी भी करती थी, लेकिन अशोक भाई उसकी पगार में से एक रुपया भी नही लेते थे। रोज कहते थे ‘बेटी यह पगार तेरे पास रख तेरे भविष्य में तेरे काम आएगी।' दोनों घरों की सहमति से बेटी और युवराज की सगाई कर दी गई और शादी का मुहूर्त भी निकलवा दिया गया. अब शादी के पन्द्रह दिन और बाकी थे. अशोक भाई ने बेटी को पास में बिठ

पहला सुख निरोगी काया: pahla sukh nirogi kaya

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एक बार की बात है एक गॉव में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसके पास पैसे की कोई कमी नहीं थी लेकिन वह बहुत ज़्यादा आलसी था। अपने सारे काम नौकरों से ही करता था और खुद सारे दिन सोता रहता या अययाशी करता था। वह धीरे धीरे बिल्कुल निकम्मा हो गया था| उसे ऐसा लगता जैसे मैं सबका स्वामी हूँ क्यूंकी मेरे पास बहुत धन है मैं तो कुछ भी खरीद सकता हूँ। यही सोचकर वह दिन रात सोता रहता था| लेकिन कहा जाता है की बुरी सोच का बुरा नतीज़ा होता है। बस यही उस व्यक्ति के साथ हुआ। कुछ सालों उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसका शरीर पहले से शिथिल होता जा रहा है उसे हाथ पैर हिलाने में भी तकलीफ़ होने लगी यह देखकर वह व्यक्ति बहुत परेशान हुआ। उसके पास बहुत पैसा था उसने शहर से बड़े बड़े डॉक्टर को बुलाया और खूब पैसा खर्च किया लेकिन उसका शरीर ठीक नहीं हो पाया। वह बहुत दुखी रहने लगा| एक बार उस गॉव से एक साधु गुजर रहे थे उन्होने उस व्यक्ति की बीमारी के बारे मे सुना। सो उन्होनें सेठ के नौकर से कहा कि वह उसकी बीमारी का इलाज़ कर सकते हैं। यह सुनकर नौकर सेठ के पास गया और साधु के बारे में सब कुछ बताया। अब सेठ ने तुरंत साधु को अपने यहाँ बुलवाया

पिता का आशीर्वाद / pita ka aashirvad

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एक व्यापारी की यह सत्य घटना है। जब मृत्यु का समय न्निकट आया तो पिता ने अपने एकमात्र पुत्र धनपाल को बुलाकर कहा कि..  बेटा मेरे पास धन-संपत्ति नहीं है कि मैं तुम्हें विरासत में दूं। पर मैंने जीवनभर सच्चाई और प्रामाणिकता से काम किया है।  तो मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं कि, तुम जीवन में बहुत सुखी रहोगे और धूल को भी हाथ लगाओगे तो वह सोना बन जायेगी। बेटे ने सिर झुकाकर पिताजी के पैर छुए। पिता ने सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया और संतोष से अपने प्राण त्याग कर दिए। अब घर का खर्च बेटे धनपाल को संभालना था। उसने एक छोटी सी ठेला गाड़ी पर अपना व्यापार शुरू किया।  धीरे धीरे व्यापार बढ़ने लगा। एक छोटी सी दुकान ले ली। व्यापार और बढ़ा। अब नगर के संपन्न लोगों में उसकी गिनती होने लगी। उसको विश्वास था कि यह सब मेरे पिता के आशीर्वाद का ही फल है।  क्योंकि, उन्होंने जीवन में दु:ख उठाया, पर कभी धैर्य नहीं छोड़ा, श्रद्धा नहीं छोड़ी, प्रामाणिकता नहीं छोड़ी इसलिए उनकी वाणी में बल था।  और उनके आशीर्वाद फलीभूत हुए। और मैं सुखी हुआ। उसके मुंह से बारबार यह बात निकलती थी।  एक दिन एक मित्र ने पूछा: तुम्हारे पिता में इतन

जीवन चक्र : देश खतरे मे है कहानी / jivan chakra : desh kahtre me hai/ Motivational story

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एक चूहा एक व्यापारी के घर में बिल बना कर रहता था. एक दिन चूहे ने देखा कि उस व्यापारी और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं. चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है.उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक चूहेदानी थी. ख़तरा भाँपनेपर उस ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है. कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उस में फँसना है? निराश चूहा ये बात मुर्गे को बताने गया.मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा... जा भाई..ये मेरी समस्या नहीं है. हताश चूहे ने बाड़े में जा कर बकरे को ये बात बताई... और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा. उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई जिस में एक ज़हरीला साँप फँस गया था.अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस व्यापारी की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डंस लिया.तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने वैद्य को बुलवाया. वैद्य ने उसे कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी.कबूतर अब पतीले में उबल रहा था ।खबर सुनकर उस व्यापारी के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन *मुर्गे को काटा गया*.कुछ दिनों बाद उस व्याप

सच्चाई और ईमानदारी best story

एक बढ़ई किसी गांव में काम करने गया, लेकिन वह अपना हथौड़ा साथ ले जाना भूल गया। उसने गांव के लोहार के पास जाकर कहा, 'मेरे लिए एक अच्छा सा हथौड़ा बना दो। मेरा हथौड़ा घर पर ही छूट गया है।' लोहार ने कहा, 'बना दूंगा पर तुम्हें दो दिन इंतजार करना पड़ेगा। हथौड़े के लिए मुझे अच्छा लोहा चाहिए। वह कल मिलेगा।' दो दिनों में लोहार ने बढ़ई को हथौड़ा बना कर दे दिया। हथौड़ा सचमुच अच्छा था। बढ़ई को उससे काम करने में काफी सहूलियत महसूस हुई। बढ़ई की सिफारिश पर एक दिन एक ठेकेदार लोहार के पास पहुंचा। उसने हथौड़ों का बड़ा ऑर्डर देते हुए यह भी कहा कि 'पहले बनाए हथौड़ों से अच्छा बनाना।' लोहार बोला, 'उनसे अच्छा नहीं बन सकता। जब मैं कोई चीज बनाता हूं तो उसमें अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखता, चाहे कोई भी बनवाए।' धीरे-धीरे लोहार की शोहरत चारों तरफ फैल गई। एक दिन शहर से एक बड़ा व्यापारी आया और लोहार से बोला, 'मैं तुम्हें डेढ़ गुना दाम दूंगा, शर्त यह होगी कि भविष्य में तुम सारे हथौड़े केवल मेरे लिए ही बनाओगे। हथौड़ा बनाकर दूसरों को नहीं बेचोगे।' लोहार ने इनकार कर दिया और कहा, &#

क्या है रामायण जानिए आसान शब्दों मे

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रामायण महाकाव्य, भारतीय साहित्य की एक प्रमुख प्रसिद्धि है जो हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पुराणों में से एक है। इस महाकाव्य के लेखक महर्षि वाल्मीकि माने जाते हैं, जिन्होंने भगवान श्रीराम की जीवनी को कविता के रूप में रचा। रामायण में सम्पूर्ण मानवीय अनुभवों को संक्षेप में दिखाया गया है और यह एक पूर्णतापूर्ण कथा है जिसमें साधारण मानवीय गुणों की प्रशंसा की गई है। रामायण की कथा में भगवान राम का जन्म, उनकी बाल्यावस्था, वनवास, सीता हरण, हनुमान और वानर सेना की मदद, लंका यात्रा, राक्षसों से युद्ध, सीता की वापसी, और अयोध्या में उनकी राज्याभिषेक आदि अहम् घटनाएं सम्मिलित हैं। इस कथा का मूलभूत संदेश यह है कि धर्म का पालन करना, सच्ची मित्रता और परिवार के प्रति वचनबद्धता जैसे मानवीय मूल्यों का पालन करने के माध्यम से जीवन को सफलता की ओर ले जाता है।