श्री बटुक भैरव जी आरती जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा । जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ॥ तुम्हीं पाप उद्धारक, दुःख सिन्धु तारक। भक्तों के सुख कारक, भीषण वपु धारक ॥ वाहन श्वान विराजत कर त्रिशुल धारी। महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयहारी॥ तुम बिन देवा सेवा सफल नही होवे। चौमुख दीपक दर्शन दुःख सगर खोवे॥ तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावली तेरी। कृपा करिये भैरव करिये नहीं देरी॥ पांव घुंघरु बाजत अरु डमरु डमकावत। बटुकनाथ बन बालक जन मन हरषावत ॥ बटुकनाथ की आरती जोकोई नर गावे। कहे धरणीधर नर मनवंछित फल पावे ॥ श्री बटुक भैरव जी महाराज बटुक भैरव भगवान महाकाल का बाल रूप माना जाता है जिसे आनंद भैरव भी कहा जाता है। बटुक भैरव की पूजा और आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। बटुक भैरव जी महाराज एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी साधना से शनि का प्रकोप भी शांत होता है। आप सभी जानते होंगे कि भैरव जी की सवारी कुत्ते को माना जाता है, इसीलिए कभी भी कुत्ते को दुत्कारे नहीं और उसे भरपेट भोजन कराएं। श्री बटुक भैरव जी महाराज भैरव बाबा की पूजा आराधना करने से साधक अपनी अकाल मौत से बच सकते हैं और भैरव बाबा उन्हें...
पाटण की रानी *रुदाबाई* जिसने सुल्तान बेघारा के सीने को फाड़ कर 👉#दिल निकाल लिया था, और कर्णावती शहर के बिच में टांग दिया था, ओर 👉धड से #सर अलग करके पाटन राज्य के बीचोबीच टांग दिया था। गुजरात से कर्णावती के राजा थे, #राणा_वीर_सिंह_वाघेला( #सोलंकी ), ईस राज्य ने कई तुर्क हमले झेले थे, पर कामयाबी किसी को नहीं मिली, सुल्तान बेघारा ने सन् 1497 पाटण राज्य पर हमला किया राणा वीर सिंह वाघेला के पराक्रम के सामने सुल्तान बेघारा की 40000 से अधिक संख्या की फ़ौज २ घंटे से ज्यादा टिक नहीं पाई, सुल्तान बेघारा जान बचाकर भागा। असल मे कहते है सुलतान बेघारा की नजर रानी रुदाबाई पे थी, रानी बहुत सुंदर थी, वो रानी को युद्ध मे जीतकर अपने हरम में रखना चाहता था। सुलतान ने कुछ वक्त बाद फिर हमला किया। राज्य का एक साहूकार इस बार सुलतान बेघारा से जा मिला, और राज्य की सारी गुप्त सूचनाएं सुलतान को दे दी, इस बार युद्ध मे राणा वीर सिंह वाघेला को सुलतान ने छल से हरा दिया जिससे राणा वीर सिंह उस युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए। सुलतान बेघारा रानी रुदाबाई को अपनी वासना का शिकार बन...
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