संदेश

मार्च, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हनुमान जी की आरती/hanuman ji ki aarti lyrics/ आरती कीजै हनुमान लला की/ aarti kije hanuman lala ki lyrics

चित्र
  हनुमान जी की आरती :- आरती कीजै हनुमान लला की,  दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। जाके बल से गिरिवर कांपै, रोग दोष जाके निकट न झांकै। अंजनि पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई। दे बीरा रघुनाथ पठाये,  लंका जारि सिया सुधि लाई। लंका सो कोट समुद्र सी खाई,  जात पवनसुत बार न लाई। लंका जारि असुर संहारे,  सीता रामजी के काज संवारे। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे,  आनि संजीवन प्राण उबारे। पैठि पाताल तोरि जम कारे,  अहिरावन की भुजा उखारे। बायें भुजा असुर दल मारे,  दाहिने भुजा संत जन तारे। सुर नरमुनिजन आरती उतारें,  जय जय जय हनुमान उचारें। कंचन थार कपूर की बाती,  आरति करत अंजना माई। जो हनुमानजी की आरती गावै,  बसि बैकुण्ठ परम पद पावै। लंका विध्वंस किये रघुराई,  तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई। आरती कीजै हनुमान लला की,  दुष्ट दलन रघुनाथ कला की… हनुमान जी की आरती का हिंदी अर्थ  :- हम सभी वीर हनुमान की आरती करते हैं। वे दुष्टों का संहार करने वाले और श्रीराम के परम भक्त हैं।  हनुमान जी की शक्ति से बड़े-बड़े पर्वत तक कांप जाते हैं। उनके प्रभाव से किसी भी प्रकार का रोग या मन का कोई दोष हमारे पास भी नही आ सकता हैं। माँ अं

श्री राम स्तुति / shree ram stuti lyrics/ shri ram chandra kripalu bhajman lyrics/ श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन

चित्र
श्री राम स्तुति    ॥दोहा॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं । नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं । पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नोमि जनक सुतावरं ॥२॥ भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं । रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥ शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणं । आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥ इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं । मम् हृदय कंज निवास कुरु कामादि खलदल गंजनं ॥५॥ मन जाहि राच्यो मिलहि सो वर सहज सुन्दर सांवरो । करुणा निधान सुजान शील स्नेह जानत रावरो ॥६॥ एहि भांति गौरी असीस सुन सिय सहित हिय हरषित अली। तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥ ॥सोरठा॥ जानी गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि । मंजुल मंगल मूल वाम अङ्ग फरकन लगे। रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास 1.  बालकाण्ड 2.  अयोध्याकाण्ड  3.  अरण्यकाण्ड 4.  किष्किन्धाकाण्ड 5.  सुन्दरकाण्ड 6.  लंकाकाण्ड 7.  उत्तरकाण्ड हनुमान चालीसा

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥/नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,/shiv panchakshar strot lyrics

चित्र
  श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम्  नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय, भस्माङ्गरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय, तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥ मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय, नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय । मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय, तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥ शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द, सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय । श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय, तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥ वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य, मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय। चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय, तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥ यक्षस्वरूपाय जटाधराय, पिनाकहस्ताय सनातनाय । दिव्याय देवाय दिगम्बराय, तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥ पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छि व सनिधौ।  शिव लोक मवाप्नोति शिवेन सह मोदते।।   हिन्दी अनुवाद: शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र के रचयिता आदि गुरु शंकराचार्य हैं, जो परम शिवभक्त थे। शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र पंचाक्षरी मन्त्र नमः शिवाय पर आधारित है। न – पृथ्वी तत्त्व का म – जल तत्त्व का शि – अग्नि तत्त्व का वा – वायु तत्त्व का और य – आकाश तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है। जिनके कण्ठ में सर्पों का हार है, जिनके तीन नेत्र हैं, भस्म ही जिनका अंगराग है और

शिव षडाक्षरी स्त्रोत / Shiv shdakshri strot lyrics :-

चित्र
शिव षडाक्षरी स्त्रोत    ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः । कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः ॥१॥ नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः । नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नमः ॥२॥ महादेवं महात्मानं महाध्यानं परायणम् । महापापहरं देवं मकाराय नमो नमः ॥३॥ शिवं शांतं जगन्नाथं लोकानुग्रहकारकम् । शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नमः ॥४॥ वाहनं वृषभो यस्य वासुकिः कंठभूषणम् । वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नमः ॥५॥ यत्र यत्र स्थितो देवः सर्वव्यापी महेश्वरः । यो गुरुः सर्वदेवानां यकाराय नमो नमः ॥६॥ षडक्षरमिदं स्तोत्रं यः पठेच्छिवसंनिधौ । शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥७॥ शिव षडाक्षरी स्त्रोत :- जो ॐकार के रूप में आध्यात्मिक ह्रदय केन्द्र में रहते है, जिसका योगी निरंतर ध्यान करते है, जो सभी इच्छाओं को पूरा करते है और मुक्ति भी प्रदान करते है, उन शिवजी को नमस्कार ,जो “ॐ” शब्द द्वारा दर्शाया गया है।१। जिनको ऋषियों ने श्रद्धा से नमन किया है, देवों ने नमन किया है, अप्सराओं ने नमन किया है और मनुष्यों ने नमन किया है, वो देवों के देव महादेव है, उनको “न” शब्द द्वारा दर्शाया गया है।२। जो महान देव है, महान आत्मा