शिव षडाक्षरी स्त्रोत / Shiv shdakshri strot lyrics :-

शिव षडाक्षरी स्त्रोत 

 ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः ।

कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः ॥१॥


नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः ।

नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नमः ॥२॥


महादेवं महात्मानं महाध्यानं परायणम् ।

महापापहरं देवं मकाराय नमो नमः ॥३॥


शिवं शांतं जगन्नाथं लोकानुग्रहकारकम् ।

शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नमः ॥४॥


वाहनं वृषभो यस्य वासुकिः कंठभूषणम् ।

वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नमः ॥५॥


यत्र यत्र स्थितो देवः सर्वव्यापी महेश्वरः ।

यो गुरुः सर्वदेवानां यकाराय नमो नमः ॥६॥


षडक्षरमिदं स्तोत्रं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥७॥



शिव षडाक्षरी स्त्रोत :-

जो ॐकार के रूप में आध्यात्मिक ह्रदय केन्द्र में रहते है, जिसका योगी निरंतर ध्यान करते है, जो सभी इच्छाओं को पूरा करते है और मुक्ति भी प्रदान करते है, उन शिवजी को नमस्कार ,जो “ॐ” शब्द द्वारा दर्शाया गया है।१।


जिनको ऋषियों ने श्रद्धा से नमन किया है, देवों ने नमन किया है, अप्सराओं ने नमन किया है और मनुष्यों ने नमन किया है, वो देवों के देव महादेव है, उनको “न” शब्द द्वारा दर्शाया गया है।२।


जो महान देव है, महान आत्मा है, सभी ध्यान का अंतिम उद्देश्य है, जो अपने भक्तों के पाप का महा विनाशक है, उन शिवजी को नमस्कार ,जो “म” शब्द द्वारा दर्शाया गया है।३।


शिवजी शांति का निवास है, जो जगत के स्वामी है और जगत का कल्याण करते है, शिव एक शाश्वत शब्द है, उन शिवजी को नमस्कार ,जो “शि” शब्द द्वारा दर्शाया गया है।४।


जिनका वाहन बैल है, जिनके गले में आभूषण के रूप में वासुकि नामक सांप है, जिनके बाई और साक्षात शक्ति बिराजमान है, उन शिवजी को नमस्कार ,जो “व”, “वा” शब्द द्वारा दर्शाया गया है।५।


जहां भी देवों का निवास है, शिवजी हर जगह मौजूद है, वो सभी देवों के गुरु है, उन शिवजी को नमस्कार ,जो “य” शब्द द्वारा दर्शाया गया है।६।


जो भी शिवजी के सानिध्य में, इस षडक्षर स्तोत्र का पठन करता है,वो शिव लोक में जाकर, उनके साथ आनंद से निवास करता है।७।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्री बटुक भैरव जी आरती/ shree batuk bhairav ji maharaj ki aarti/ bheru ji ki aarti/जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा/ BATUK BHAIRAV JI MAHARAJ MANTRA/ बटुक भैरव मंत्र

पाटण की रानी रुदाबाई