राम रसिया हूं मे राम सुमिरन करू

 राम रसिया हूँ मैं राम नाम सुमिरन करुँ,प्रभु के नाम का मै चिंतन करूँ... 

कीर्ति वैभव न यश चाहिये, राम के नाम का रस चाहिये ..

मेरे सीने में बैठे हैं सिया राम, सबको दिखला ही दिया, 

भक्ति में आनंद है मस्ती है ,सबको बतला ही दिया ...

मिलता है सुख ऐसे अमृत को पीने में, श्री राम जानकी बेठे है मेरे सीने में.. 

राम रसिया हूँ मैं राम सुमिरन करुँ, राम नाम का मै तो चिंतन करुँ... 

जय श्री राम जयजय राम 

भक्त शिरोमणि वीर हनुमान 

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