"हनुमान जी का चमत्कार" एक सच्ची घटना || भक्ति मे शक्ति का एक और उदाहरण

एक सत्य घटना जो किसी ने नहीं बताया है✍️✍️

 मंदिर परिसर में लगे ठंडे पानी की मशीन के पास बैठा एक छोटा सा वानर मुंह में दो बिजली के तारों को लिए चबाए जा रहा था, मानों कोई फल हो।


पूरा मंदिर खाली करा लिया गया था, एक एक श्रद्धालु और एक एक दर्शनार्थी।


केवल पुलिस बल और बम निरोधक दस्ता वहां उस समय हनुमान गढ़ी मंदिर के भीतर था, और वे सभी के सभी उस छोटे से वानर को बिजली का तार चबाते हुए देख रहे थे।


पर मंदिर पूरा खाली क्यों था और पुलिस के साथ में बम निरोधक दस्ता वहां क्या कर रहा था?


इसे थोड़े से में बता रहा हूं क्योंकि 1998 में घटी ये सत्य घटना आज तक किसी अखबार या न्यूज चैनल में ये घटना दिखाई नही गई है अयोध्या के अति संवेदनशील होने के कारण।


साल 1998 में करीब बीस किलो आरडीएक्स अयोध्या में आने की खबर उत्तरप्रदेश की एसटीएफ यानी विशेष पुलिस दस्ते को लगी थी, जिसमे से अधिकांशतः आरडीएक्स को समय रहते पुलिस की मुस्तैदी से जब्त कर लिया गया और अयोध्या में किसी प्रकार का धमाका नही हुआ।


परन्तु एक आतंकी बम निरोधक दस्ते का भेष बनाकर अयोध्या के सबसे प्राचीन हनुमान गढ़ी मंदिर में घुस गया और उसने टाइमर सेट करके वहां ठंडे पानी की मशीन में बम लगा दिया।


जब तक पुलिस ने उसे बाहर भागते समय पकड़ा और पूछताछ शुरू की तब तक केवल एक मिनट का समय शेष रह गया था मंदिर में बम के विस्फोट के लिए, ऐसा उस आतंकी ने स्वयं बताया था।


तुरत फुरत पूरा का पूरा पुलिस बल जिसका नेतृत्व इंस्पेक्टर अविनाश मिश्रा कर रहे थे, मंदिर में घुसे और वो टाइम बम को खोजने लगे।


मंदिर का हर एक कोना हर एक गलियारा छान मारा पर बम जैसा कुछ भी किसी को दिखाई नही दे रहा था की तभी सबने देखा…..


मंदिर के प्रांगण में बने ठंडे पानी की मशीन के पास एक छोटा वानर बैठकर अपने हाथों में दो तार लिए उनसे खेल रहा था और मुंह में लेकर चबाए जा रहा था, जैसे कुछ काट रहा हो।


पुलिस को अंदेशा हो गया की हो ना हो इसी मशीन में बम फिट किया गया है, उन्होंने उस वानर के मुंह से तार छुड़ाने के लिए केले उसकी ओर फेंके।


और केले जैसे ही उस वानर की ओर फेंके गए वैसे ही वो तार छोड़कर बिना केले लिए वहां से उतरकर चला गया या यूं कहूं लुप्त हो गया।


तुरंत ही बम निरोधक दस्ता वहां बुलवाया गया और जैसे ही मशीन खोली गई, उसमे से एक टाइमर सेट किया गया बम पाया गया।


"सर इस बम को तो डिफ्यूज (नष्ट) किया जा चुका है! ये देखिए टाइमर 3 सेकेंड पर रुक चुका है!"


"उस छोटे से बंदर ने तार काटकर बम को फटने से रोक दिया है!"


बड़े उत्साह के साथ बम निरोधक दस्ते के उस सिपाही ने सूचना दी।


और कुछ ही देर में सारे पुलिस बल ने हनुमान गढ़ी मंदिर के शिखर पर वही छोटे से वानर को देखा, जो शिखर के कलश को सहला रहा था।


मित्रों आप ही बताइए वो छोटा सा वानर था या फिर भक्त प्रवर श्री हनुमान जी महाराज संसार से कुछ कह रहे थे!


निश्चित ही वो हनुमान बाबा थे और वो ये डंके की चोट पर सारे संसार को बता रहे थे की अवध मेरे प्रभु श्रीराम की है और इसकी ओर जब जब संकट आएगा तब तब एक वानर आकर इस अवध की रक्षा करेगा।


अपने प्रभु की परम प्रिय नगरी पर आंच भी नही आने देगा!अयोध्या के कोतवाल बाबा हनुमान जी महाराज


लंका विजय के बाद जब पुष्पक विमान में बैठकर राम जी वापस आ रहे होते है तब आकाश में से ही उन्हें अवध के दर्शन होते है।




वे नेत्रों में प्रेम के अश्रु लेकर विभीषण जी, सुग्रीव जी, अंगद जी, हनुमान जी और अपने सारे सखाओं से जो पुष्पक में उनके साथ ही थे, बोल पड़ते है:


जन्मभूमि मम पुरी सुहावनी । उत्तर दिसी बह सरजू पावनी ।।


"मेरे मित्रों! समस्त वेद पुराणों में मेरे वैकुंठ धाम को मेरे सबसे निकट कहा जाता है, पर मुझे मेरी अवधपुरी के समान प्रिय और कोई भी नही है।"


"मित्रों! देखो ये मेरी परम रम्य सुखदायनी जन्मभूमि है जिसके उत्तर में सरयू पवित्रा बहती है। इस नगरी में रहने वाले मुझे अत्यंत प्रिय है और मेरी ये पुरी समस्त सुखों को देने वाली है।"

~PPG~

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