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प्रेमानंद जी महाराज के पास आए एक व्यक्ति की कहानी:

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**कथा: "सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता"**

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**कथा: "सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता"** बहुत समय पहले की बात है। द्वारका नगरी के राजा भगवान श्रीकृष्ण थे, जो न्याय, प्रेम और करुणा के प्रतीक माने जाते थे। वे केवल एक राजा नहीं थे, बल्कि ईश्वर के अवतार थे। उसी समय, एक दूर गाँव में एक निर्धन ब्राह्मण रहता था — उसका नाम था सुदामा। सुदामा और श्रीकृष्ण बचपन के मित्र थे। वे दोनों गुरुकुल में एक साथ पढ़ते थे। बाल्यावस्था में उन्होंने अनेक दिन एक साथ बिताए थे — एक ही थाली में भोजन किया, एक ही आसन पर बैठे और अनेक बार जंगल से लकड़ियाँ लाए। लेकिन जीवन की राहें उन्हें अलग कर गईं। श्रीकृष्ण द्वारका के राजा बन गए और सुदामा एक साधारण गृहस्थ ब्राह्मण रह गए। सुदामा की पत्नी सुशीला अत्यंत धार्मिक और पतिव्रता स्त्री थी। समय बीतता गया और गरीबी ने सुदामा के घर को पूरी तरह घेर लिया। कभी-कभी तो उनके घर में अन्न का एक दाना भी नहीं होता। लेकिन सुदामा हमेशा ईश्वर का भजन करते रहते, उन्हें किसी बात का दुख नहीं होता। वे कहते, “जो भी होता है, भगवान की इच्छा से होता है। जो देगा, वही कृष्ण देगा।” लेकिन पत्नी को यह सब सहन नहीं होता। एक दिन उसने सुदामा से क...