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जुलाई, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रेमानंद जी महाराज का भारत की ल़डकियों पर कटाक्ष

 प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में आजकल के युवाओं के चरित्र को लेकर कुछ ऐसा कह दिया है जो अब सुर्खियों में आ गया है। उन्होंने कहा कि बहुत चुनिंदा लड़कियां ही होंगी जो पवित्र जिंदगी बिताते हुए अपने पति के प्रति समर्पित होती होंगी। उनका एक वीडियो सामने आया है जिसमें वो बता रहे हैं कि आजकल की शादियां लंबी क्यों नहीं टिक रहीं। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि 'ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि आज युवाओं का चरिण पवित्र नहीं है। पहले की महिलाओंं का रहन सहन देखो, कैसे कपड़े पहनती थीं और आजकल की लड़कियों को देखो'। युवाओं के चरित्र पर बोले प्रेमानंद महाराज प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा- "आजकल की लड़कियों को देखो, एक से ब्रेकअप, दूसरे से पैचअप, फिर दूसरे से ब्रेकअप, तीसरे से पैचअप, कैसे शुद्ध होगा। चार होटल का खाना खाने की जुबान को आदत हो गई है तो घर का खाना कैसे अच्छा लगेगा, ऐसे ही जब चार पुरुष से मिलने की आदत पड़ गई तो एक पति को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं रहेगी"। उन्होंने आगे मर्दों को लेकर भी कहा कि "जो 4 लड़कियों से व्यभिचार करता है, वो अपनी पत्नी से संतुष्ट नहीं रहेगा, उसे 4 से व्यभ...

पति और पत्नी का मधुर संबंध

 पत्नी का देहांत हुए 15 दिन हो चुके थे लोगों का आना जाना अब बन्द हो गया था। वह अकेला बैठा पुरानी यादों में खोया था कि अचानक उसे पत्नी का लिखा पत्र मिला। पत्र में लिखा था- प्रिय पतिदेव               मुझे पता चल चुका है कि मुझे कैंसर है और वह भी अंतिम स्टेज में चल रहा है। मैं यह भी जानती हुँ कि मेरे पास अब बहुत कम दिन बचे हैं।          मुझे यह भी पता है कि आपने मेरे इलाज में अपनी सारी जमापूंजी खर्च कर दी है।सारे गहने बिक चुके हैं। कितनी मेहनत से बचत कर के जो प्लॉट हमने खरीदा था वह भी मेरी बीमारी की भेंट चढ़ चुका है।        आप क्या समझते थे कि आप यदि ये सारी बातें मुझे नहीं बताओगे तो क्या मुझे पता नहीं चलेगा?           मैं आपकी अर्धांगिनी हूँ। मैंने जिंदगी के 12 साल आपके साथ गुजारे हैं। मैं आपके चेहरे को पढ़कर जान जाती हूँ कि आप किस हालत में हो मगर मेरी मजबूरी तो देखिए कि मैं आपके आंसू भी नही पोंछ सकती।            आप अकेले में जब रोते हो तब छुप कर देख...

सरस्वती नदी का खोया हुआ रास्ता मिला

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 सरस्वती नदी का खोया हुआ रास्ता मिला! राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने एक चौंकाने वाली खोज की है। बहज गांव में खुदाई के दौरान वैज्ञानिकों को ज़मीन के 23 मीटर नीचे एक सूखी नदी का निशान मिला है। माना जा रहा है कि यह वही पौराणिक सरस्वती नदी है, जिसका उल्लेख ऋग्वेद और महाभारत जैसे ग्रंथों में मिलता है। यह सिर्फ एक नदी का ट्रैक नहीं है—बल्कि इतिहास की एक खोई हुई परत है। इस जगह से 5500 साल पुराने मिट्टी के बर्तन, धातु उपकरण, यज्ञ कुंड और प्राचीन मूर्तियाँ भी मिली हैं। ये सभी अवशेष इस बात के गवाह हैं कि यहां कभी एक समृद्ध सभ्यता रही होगी, जो इस नदी के किनारे फली-फूली थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह नदी कभी हिमालय से निकलकर राजस्थान होते हुए गुजरात तक बहती थी और अरब सागर में मिल जाती थी। आज यह नदी तो नहीं रही, लेकिन उसके निशान रेत के नीचे आज भी ज़िंदा हैं। यह खोज यह साबित करती है कि सरस्वती कोई कल्पना नहीं, बल्कि भारत की भूगर्भीय और सांस्कृतिक विरासत का एक सच्चा हिस्सा रही है।

क्या प्लूटो हमारे सौरमंडल का अंत

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  क्या आपको लगता है कि प्लूटो हमारे सौरमंडल का अंत है? बिलकुल नहीं। ग्रहों से बहुत दूर ऊर्ट क्लाउड है—सूर्य के चारों ओर एक विशाल, बर्फीला आवरण, जो 1,00,000 AU तक फैला है। यह इतना दूर है कि प्रकाश को भी इसके किनारे तक पहुँचने में एक वर्ष से ज़्यादा समय लगेगा। यह रहस्यमय क्षेत्र दीर्घ-अवधि धूमकेतुओं का स्रोत माना जाता है और वह सीमा रेखा है जहाँ सूर्य का गुरुत्वाकर्षण अभी भी प्रभावी है। हालाँकि इसे कभी प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा गया है, लेकिन विज्ञान और गणित इसके अस्तित्व की पुष्टि करते हैं।...

ताइवान के एक विज्ञान शिक्षक :- चेन केन यिंग

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  ताइवान के एक विज्ञान शिक्षक "चेन केन यिंग (Chen Kuen Yung)" अपनी ब्लैकबोर्ड आर्ट के लिए दुनियाभर में मशहूर हो चुके हैं। वे विज्ञान (विशेष रूप से शरीर रचना, भौतिकी और जीवविज्ञान) को इतनी **दृश्यात्मक और कलात्मक शैली** में पढ़ाते हैं कि उनकी कक्षा किसी आर्ट गैलरी जैसी लगती है। 🔍 प्रमुख तथ्य: 1. स्थान    वह ताइवान के "चिएह ताई हाई स्कूल (Chien Tai High School)" में पढ़ाते हैं। 2. विशेषता    वे हर लेक्चर के लिए ब्लैकबोर्ड पर "हैंड-ड्रॉउन डायग्राम्स" बनाते हैं — जैसे हड्डियों की संरचना, मांसपेशियों का ढांचा, न्यूट्रॉन संरचना आदि — और यह सब "सिर्फ चॉक और स्केल" से करते हैं। 3. सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि    उनकी ब्लैकबोर्ड आर्ट की तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हुई हैं। "Twitter, Instagram, और Facebook" पर हजारों लोगों ने उन्हें सराहा है। 4. लक्ष्य    उनका उद्देश्य सिर्फ पढ़ाना नहीं, बल्कि छात्रों को "विज्ञान से जोड़ना और उसमें रुचि जगाना" है।

मौसम और प्रकृति के परिवर्तन का कारण

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  पृथ्वी के ध्रुव लगभग एक मीटर खिसक गए हैं और यह सिर्फ़ ग्लेशियरों के पिघलने की बात नहीं है। मानव निर्मित बाँध सचमुच ग्रह के घूमने के तरीके को बदल रहे हैं। एक चौंकाने वाले नए अध्ययन ने कुछ ऐसा उजागर किया है जिसकी कल्पना बहुत कम लोग कर सकते हैं: विशाल मानव निर्मित बाँधों के निर्माण, जो खरबों टन पानी को रोकते हैं, ने वास्तव में 1990 के दशक से पृथ्वी के भौगोलिक ध्रुवों को लगभग एक मीटर तक खिसका दिया है। ये बदलाव सैद्धांतिक नहीं हैं, ये भौतिक रूप से मापने योग्य हैं, जो हमारे ग्रह की सतह पर द्रव्यमान के नाज़ुक संतुलन को बदल रहे हैं। यह इस प्रकार काम करता है: जब हम जलाशय बनाते हैं और उस पानी को रोकते हैं जो सामान्यतः महासागरों और महाद्वीपों में स्वतंत्र रूप से बहता है, तो हम विशिष्ट स्थानों पर भारी भार केंद्रित कर देते हैं। समय के साथ, द्रव्यमान का यह सूक्ष्म लेकिन शक्तिशाली पुनर्वितरण पृथ्वी की पपड़ी पर खिंचाव डालता है, जिससे ग्रह के घूर्णन अक्ष की वह अदृश्य रेखा बदल जाती है जिसके चारों ओर वह घूमता है। पहले, इन बदलावों के लिए मुख्यतः पिघलते ग्लेशियरों को ज़िम्मेदार ठहराया जाता था, लेकिन...

माउंट एवरेस्ट स्थिति विस्तार : क्या है माउंट एवरेस्ट पर्वत का रहस्य...

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 पहली नज़र में माउंट एवरेस्ट जो पृथ्वी का सबसे ऊँचा पर्वत है, अपनी 29,032 फीट (8,848 मीटर) ऊँचाई के साथ अविश्वसनीय रूप से ऊँचा लगता है। लेकिन जैसे ही आप महासागर की गहराइयों में उतरते हैं, आपको इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली गहराई मिलती है। मारियाना ट्रेंच, जो पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित है, लगभग 35,760 फीट (10,900 मीटर) की गहराई तक जाती है। यानी यह एवरेस्ट की ऊँचाई से भी ज़्यादा गहरी है। कल्पना कीजिए, अगर आप माउंट एवरेस्ट को उल्टा घुमा कर समुद्र में डाल दें, तो भी उसका शिखर मारियाना ट्रेंच के सबसे गहरे बिंदु तक नहीं पहुँच पाएगा। 🌊 समुद्र की गहराई आज भी पृथ्वी के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है। हमने मंगल ग्रह की सतह के बारे में जितना जाना है, उससे कहीं कम हमारी जानकारी अपने ही महासागरों की गहराइयों के बारे में है।

‘हर व्यक्ति की 4 पत्नियां होनी चाहिए’

  ‘हर व्यक्ति की 4 पत्नियां होनी चाहिए’  #बुद्ध के अनुसार किसी व्यक्ति की एक नहीं,  दो नहीं, बल्कि 4 पत्नियां होनी चाहिए।  एक समय की बात है,  एक व्यक्ति था जिसकी 4 पत्नियां थीं।  यह उस दौर की बात है जब भारत में एक पुरुष को  एक से अधिक पत्नियां रखने की इजाजत थी।  उसका जीवन काफी अच्छा चल रहा था,  लेकिन परेशानियां भी अधिक दूर नहीं थीं। वह काफी बीमार पड़ गया,  उसकी बीमारी ठीक ना होने की  कगार पर आ गई थी।  अब उसे समझ आ गया था कि  उसकी मृत्यु का समय बेहद नजदीक है।  इस बात का आभास होने पर वह काफी  अकेला और उदास रहने लगा। लेकिन तब उसने हिम्मत करके अपनी पहली  पत्नी से एक प्रश्न किया,  “प्रिय, मेरी मृत्यु काफी नजदीक है,  बहुत जल्द मैं अपना शरीर त्यागकर संसार से  मुक्त हो जाऊंगा।  लेकिन मैं अकेले ही यह सफर  तय नहीं करना चाहता।  मैंने हमेशा तुमसे प्यार किया और  अब भी करता हूं,  क्या तुम मृत्यु के बाद मेरे साथ  चलोगी, जहां भी मैं जाऊं?” इस बात को सुनकर कुछ क्षण के लिए  उस ...

स्टोन बेबी.।। Stone Baby

 वैज्ञानिकों ने एक 73 साल की महिला के पेट में 35 साल पुराना जमा हुआ भ्रूण खोजा... जिसे ‘स्टोन बेबी’ कहा जाता है। यह चौंका देने वाली घटना अल्जीरिया की है, जहाँ एक महिला तेज़ पेट दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल पहुँची। जब डॉक्टरों ने स्कैन किया तो उनके पेट में एक "कैल्सिफ़ाइड फेटस" यानी ऐसा भ्रूण पाया गया जो पत्थर की तरह सख्त हो चुका था। डॉक्टरों ने बताया कि ये स्थिति "लिथोपेडियन" कहलाती है। जब भ्रूण गर्भाशय के बाहर, अक्सर फैलोपियन ट्यूब में विकसित होता है और फिर उसकी मौत हो जाती है, तब शरीर उसे पूरी तरह से सोख नहीं पाता। ऐसे में शरीर उस मरे हुए भ्रूण को कैल्शियम की परत से ढक देता है ताकि कोई नुकसान न हो — और वो भ्रूण धीरे-धीरे पत्थर जैसा बन जाता है। सबसे हैरानी की बात ये रही कि उस महिला को 35 साल तक इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं था। ये बहुत ही दुर्लभ स्थिति होती है, जो केवल लगभग 0.0054% गर्भधारण में ही देखने को मिलती है। आमतौर पर ऐसे मामलों में किसी भी तरह के लक्षण नहीं होते और यह किसी दूसरी बीमारी के लिए कराए गए स्कैन में अचानक सामने आता है। यह मामला इंसानी शरीर की एक अ...