पुष्प की अभिलाषा

चाह नहीं मैं सुरबाला के,

गहनों में गूँथा जाऊँ,

चाह नहीं प्रेमी-माला में,

बिंध प्यारी को ललचाऊँ,

चाह नहीं, सम्राटों के शव,

पर, हे हरि, डाला जाऊँ।





चाह नहीं, देवों के शिर पर,

चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ, 

मुझे तोड़ लेना वनमाली, 

उस पथ पर देना तुम फेंक,

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, 

जिस पथ जाएँ  वीर अनेक।


।। हरिवंश राय बच्चन।। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa)

अम्बे माँ की आरती (Ambe maa ki aarti)

Bal Samay Ravi Bhaksha Liyo/बाल समय रवि भक्ष लियो तब / संकटमोचन हनुमान अष्टक:-