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मई, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इसे कहते हैं चाहत और कसक

  इसे कहते है कसक ओर चाहत ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक कोई जाना पहचाना सा चेहरा जर्नल बोगी में आ गया। मैं अकेली सफर पर थी। सब अजनबी चेहरे थे। स्लीपर का टिकिट नही मिला तो जर्नल डिब्बे में ही बैठना पड़ा। मगर यहां ऐसे हालात में उस शख्स से मिलना। जिंदगी के लिए एक संजीवनी के समान था। जिंदगी भी कमबख्त कभी कभी अजीब से मोड़ पर ले आती है। ऐसे हालातों से सामना करवा देती है जिसकी कल्पना तो क्या कभी ख्याल भी नही कर सकते । वो आया और मेरे पास ही खाली जगह पर बैठ गया। ना मेरी तरफ देखा। ना पहचानने की कोशिश की। कुछ इंच की दूरी बना कर चुप चाप पास आकर बैठ गया। बाहर सावन की रिमझिम लगी थी। इस कारण वो कुछ भीग गया था। मैने कनखियों से नजर बचा कर उसे देखा। उम्र के इस मोड़ पर भी कमबख्त वैसा का वैसा ही था। हां कुछ भारी हो गया था। मगर इतना ज्यादा भी नही। फिर उसने जेब से चश्मा निकाला और मोबाइल में लग गया। चश्मा देख कर मुझे कुछ आश्चर्य हुआ। उम्र का यही एक निशान उस पर नजर आया था कि आंखों पर चश्मा चढ़ गया था। चेहरे पर और सर पे मैने सफेद बाल खोजने की कोशिश की मग़र मुझे नही दिखे। मैंने जल्दी से सर पर साड़ी का पल्लू डाल

देश की बेटियों के लिए दिल को झकझोर कर रख देने वाली कहानी,,, heart touching story

 ट्रेन के ए.सी. कम्पार्टमेंट में मेरे सामने की सीट पर बैठी लड़की ने मुझसे पूछा " हैलो, क्या आपके पास इस मोबाइल की सिम निकालने की पिन है??"  उसने अपने बैग से एक फोन निकाला, वह नया सिम कार्ड उसमें डालना चाहती थी। लेकिन सिम स्लॉट खोलने के लिए पिन की जरूरत पड़ती है, जो उसके पास नहीं थी। मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और अपने क्रॉस बैग से पिन निकालकर लड़की को दे दी। लड़की ने थैंक्स कहते हुए पिन ले ली और सिम डालकर पिन मुझे वापिस कर दी। थोड़ी देर बाद वो फिर से इधर उधर ताकने लगी, मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने पूछ लिया "कोई परेशानी??" वो बोली सिम स्टार्ट नहीं हो रही है, मैंने मोबाइल मांगा, उसने दिया। मैंने उसे कहा कि सिम अभी एक्टिवेट नहीं हुई है, थोड़ी देर में हो जाएगी। एक्टिव होने के बाद आईडी वेरिफिकेशन होगा, उसके बाद आप इसे इस्तेमाल कर सकेंगी। लड़की ने पूछा, आईडी वेरिफिकेशन क्यों?? मैंने कहा " आजकल सिम वेरिफिकेशन के बाद एक्टिव होती है, जिस नाम से ये सिम उठाई गई है, उसका ब्यौरा पूछा जाएगा बता देना" लड़की बुदबुदाई "ओह्ह " मैंने दिलासा देते हुए कहा "इसमें कोई परेशानी

बिल गेट्स से भी अमीर व्यक्ति /bil gates se amir vaykti

  "दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति बिल गेट्स से किसी ने पूछा - 'क्या इस धरती पर आपसे भी अमीर कोई है ? बिल गेट्स ने जवाब दिया - हां, एक व्यक्ति इस दुनिया में मुझसे भी अमीर है।  कौन -! बिल गेट्स ने बताया: एक समय मे जब मेरी प्रसिद्धि और अमीरी के दिन नहीं थे।  मैं न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर था.. वहां सुबह सुबह अखबार देख कर, मैंने एक अखबार खरीदना चाहा,पर मेरे पास खुदरा पैसे नहीं थे.. सो, मैंने अखबार लेने का विचार त्याग कर उसे वापस रख दिया.. अखबार बेचने वाले लड़के ने मुझे देखा, तो मैंने खुदरा पैसे/सिक्के न होने की बात कही.. लड़के ने अखबार देते हुए कहा - यह मैं आपको मुफ्त में देता हूँ बात आई-गई हो गई.. कोई तीन माह बाद संयोगवश उसी एयरपोर्ट पर मैं फिर उतरा और अखबार के लिए फिर मेरे पास सिक्के नहीं थे।उस लड़के ने मुझे फिर से अखबार दिया, तो मैंने मना कर दिया। मैं ये नहीं ले सकता.. उस लड़के ने कहा, आप इसे ले सकते हैं, मैं इसे अपने प्रॉफिट के हिस्से से दे रहा हूँ मुझे नुकसान नहीं होगा। मैंने अखबार ले लिया...... 19 साल बाद अपने प्रसिद्ध हो जाने के बाद एक दिन मुझे उस लड़के की याद आयी और कोई डेढ़ महीने खोजन

पोस्टमैन की ख्वाहिश /postman ki khwaish

  आंखो में आंसु आ गए पढ़ कर  एक दिन एक बुजुर्ग डाकिये ने एक घर के दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा..."चिट्ठी ले लीजिये।" आवाज़ सुनते ही तुरंत अंदर से एक लड़की की आवाज गूंजी..." अभी आ रही हूँ...ठहरो।" लेकिन लगभग पांच मिनट तक जब कोई न आया तब डाकिये ने फिर कहा.."अरे भाई! कोई है क्या, अपनी चिट्ठी ले लो...मुझें औऱ बहुत जगह जाना है..मैं ज्यादा देर इंतज़ार नहीं कर सकता....।" लड़की की फिर आवाज आई...," डाकिया चाचा , अगर आपको जल्दी है तो दरवाजे के नीचे से चिट्ठी अंदर डाल दीजिए,मैं आ रही हूँ कुछ देर औऱ लगेगा ।  " अब बूढ़े डाकिये ने झल्लाकर कहा,"नहीं,मैं खड़ा हूँ,रजिस्टर्ड चिट्ठी है,किसी का हस्ताक्षर भी चाहिये।" तकरीबन दस मिनट बाद दरवाजा खुला। डाकिया इस देरी के लिए ख़ूब झल्लाया हुआ तो था ही,अब उस लड़की पर चिल्लाने ही वाला था लेकिन, दरवाजा खुलते ही वह चौंक गया औऱ उसकी आँखें खुली की खुली रह गई।उसका सारा गुस्सा पल भर में फुर्र हो गया। उसके सामने एक नन्ही सी अपाहिज कन्या जिसके एक पैर नहीं थे, खड़ी थी।  लडक़ी ने बेहद मासूमियत से डाकिये की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाया औऱ कहा...

बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना/tulsidas ji ne bhagwan ki mahima/binu pad chalai sunai binu kana

तुलसीदास जी ने भगवान का वर्णन इस दोहे के माध्यम से इस प्रकार किया है।  चौपाई बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥ आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु बानी बकता बड़ जोगी।।  भावार्थ- वह (ब्रह्म) बिना ही पैर के चलता है, बिना ही कान के सुनता है, बिना ही हाथ के नाना प्रकार के काम करता है, बिना मुँह (जिह्वा) के ही सारे (छहों) रसों का आनंद लेता है और बिना वाणी के बहुत योग्य वक्ता है।

बाप सेर तो बेटा सवा सेर /bap ser to beta sawa ser

  रात को अचानक ही बुखार आ गया है। paracetamol लेकर सोने की हरसंभव कोशिश की लेकिन आँखों से नींद ऐसे ही गायब है जैसे कभी पढ़ा था कि गधे के सिर से सींग गायब हुए थे।  खैर मुद्दा वो नहीं है। लेटे लेटे बचपन का एक किस्सा याद आ गया है। तब भी एक दिन ऐसे ही बुखार आया था।   साल 1998 के आसपास रहा होगा। उम्र करीब 12 साल की थी। रात के करीब 8-9 बजे होंगे जब पापा ड्यूटी से घर आये थे। उस वक्त पापा अक्सर घर देर से ही आते थे। उस दिन आये तो उनके हाथ में 3-4 कॉमिक्स का बण्डल था। हमारे यहाँ कॉमिक्स को बच्चों के लिए अच्छा नहीं समझा जाता था। कभी कभार पापा अपने पढ़ने के लिए कॉमिक्स लाते तो सबसे छुप छुपाकर हम भी पढ़ लिया करते थे। पापा ने कॉमिक्स मेज पर रखी और खाना खाने बैठे। मेरी नज़र ज़ाहिर है कॉमिक्स पर ही टिकी थी लेकिन पापा के होते हुए उठाने की मेरी हिम्मत नहीं हो सकती थी। मन में लड्डू बनते थे और फूटते थे। तरह तरह के सवाल ( कौनसे हीरो की कॉमिक्स होगी? स्टोरी कैसी होगी? इत्यादि) दिमाग में घुमड़ते थे। दूर से ही कवर को घूर घूरकर देखता था कि कुछ अंदाज़ा मिले मगर सब बेकार। यहां तक कि सोने के लिए बिस्तर पर लेट गये पर नीं

विश्वकर्मा की ईमानदारी/Vishvkarma ki imandari

एक बढ़ई किसी गांव में काम करने गया, लेकिन वह अपना हथौड़ा साथ ले जाना भूल गया। उसने गांव के लोहार के पास जाकर कहा, 'मेरे लिए एक अच्छा सा हथौड़ा बना दो। मेरा हथौड़ा घर पर ही छूट गया है।' लोहार ने कहा, 'बना दूंगा पर तुम्हें दो दिन इंतजार करना पड़ेगा। हथौड़े के लिए मुझे अच्छा लोहा चाहिए। वह कल मिलेगा।' दो दिनों में लोहार ने बढ़ई को हथौड़ा बना कर दे दिया। हथौड़ा सचमुच अच्छा था। बढ़ई को उससे काम करने में काफी सहूलियत महसूस हुई। बढ़ई की सिफारिश पर एक दिन एक ठेकेदार लोहार के पास पहुंचा। उसने हथौड़ों का बड़ा ऑर्डर देते हुए यह भी कहा कि 'पहले बनाए हथौड़ों से अच्छा बनाना।' लोहार बोला, 'उनसे अच्छा नहीं बन सकता। जब मैं कोई चीज बनाता हूं तो उसमें अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखता, चाहे कोई भी बनवाए।' धीरे-धीरे लोहार की शोहरत चारों तरफ फैल गई। एक दिन शहर से एक बड़ा व्यापारी आया और लोहार से बोला, 'मैं तुम्हें डेढ़ गुना दाम दूंगा, शर्त यह होगी कि भविष्य में तुम सारे हथौड़े केवल मेरे लिए ही बनाओगे। हथौड़ा बनाकर दूसरों को नहीं बेचोगे।' लोहार ने इनकार कर दिया और कहा, &#

Ram kahani suno shri ram kahani / राम कहानी सुनो श्री राम कहानी

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राम कहानी सुनो रे राम कहानी  श्री राम जय राम जय जय राम राम कहानी सुनो रे राम कहानी राम कहानी सुनो श्री राम कहानी कहत सुनत आवे, कहत सुनत आवे अखियों मैं पानी, राम कहानी सुनो रे राम कहानी, राम कहानी सुनो श्री राम कहानी श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम दशरथ के राज दुलारे कौशल्या की आँख के तारे,  वे सूर्यवंश के सूरज, वे रघुकुल के उजियारे,  राजीव नयन बोले,राजीव नयन बोले मधु बरी बानी,  राम कहानी सुनो श्री राम कहानी शिव धनुष भंग प्रभु करके, ले आए सीता वर के, घर त्याग भये वनवासी पित की आज्ञा सर धरके,  लखन सीए ले संग, लखन सीए ले संग छोड़ि राजधानी,  राम कहानी सुनो रे राम कहानी राम कहानी सुनो रे राम कहानी श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम खलभेष भिक्षु का धरके, भिक्षा का अग्रह करके,  उस जनकसुता सीता को छल बल से ले गया हर के बड़ा दुःख पावे, बड़ा दुःख पावे राजा राम जी की रानी,  राम कहानी सुनो रे राम कहानी राम कहानी सुनो रे राम कहानी श्री राम ने मोहे पठायो में राम दूत बन आयो,  सीता माँ की सेवा में रघुवर को संदेसा लायो,  और संग लायो, और संग लायो प्रभु मुद्रिका निशानी, 

लंगर / Langar

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 " लंगर "  एक होटल में एक आदमी दाल रोटी खा रहा था। अच्छे परिवार का बुजुर्ग था । खाने के बाद जब बिल देने की बारी आई तो वो बोला कि उसका पर्स घर में रह गया है और थोड़ी देर में आकर बिल चुका जाएगा। काऊंटर पर बैठे सरदार जी ने कहा, "कोई बात नहीं, जब पैसे आ जाएं तब दे जाना " और वो वहां से चला गया।  वेटर ने जब ये देखा तो उसने कांउटर पर बैठे सरदार जी को बताया कि ये आदमी पहले भी दो तीन होटलों में ऐसा कर चुका और ये पैसे कभी भी देने नहीं आते है।   इस पर उन सरदार जी ने कहा, " वो सिर्फ दाल रोटी खा कर गया है, कोई कोफ्ते, पनीर शनीर खा कर नहीं गया। उसने ऐयाशी करने के लिए नहीं खाया सिर्फ अपनी भूख मिटाने के लिए खाना खाया। वो इसे होटल समझा कर नहीं आया था,  गुरूद्वारा समझ कर आया था, और हम पंजाबी लोग लंगर के पैसे नहीं लेते।

kalidas ji ke jivan ki ek kahani/कालिदास जी के जीवन की एक कहानी

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कालिदास बोले :- "माते पानी पिला दीजिए बड़ा पुण्य होगा" ! स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं. अपना परिचय दो। मैं अवश्य पानी पिला दूंगी। कालिदास ने कहा :- मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें। स्त्री बोली :- "तुम पथिक कैसे हो सकते हो" ? , पथिक तो केवल दो ही हैं सूर्य व चन्द्रमा, जो कभी रुकते नहीं ! हमेशा चलते रहते हैं। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ। कालिदास ने कहा :- मैं मेहमान हूँ, कृपया पानी पिला दें। स्त्री बोली :- "तुम मेहमान कैसे हो सकते हो" ? संसार में दो ही मेहमान हैं। पहला धन और दूसरा यौवन ! इन्हें जाने में समय नहीं लगता। सत्य बताओ कौन हो तुम ? (अब तक के सारे तर्क से पराजित हताश तो हो ही चुके थे) कालिदास बोले :- मैं सहनशील हूं। अब आप पानी पिला दें। स्त्री ने कहा :- "नहीं, सहनशील तो दो ही हैं। पहली, धरती जो पापी-पुण्यात्मा सबका बोझ सहती है" ! उसकी छाती चीरकर बीज बो देने से भी अनाज के भंडार देती है, दूसरे पेड़ जिनको पत्थर मारो फिर भी मीठे फल देते हैं। तुम सहनशील नहीं। सच बताओ तुम कौन हो ? (कालिदास लगभग मूर्च्छा की स्थिति में आ गए और तर्क

SHIV CHALISA/शिव चालीसा

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शिव चालीसा   ॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥  मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा । सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥  त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥  प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं

hari anant hari katha ananta lyrics , manoyog se suno suno lyrics , (हरि अनंत हरि कथा अनंता) /मनोयोग से सुनो सुनो लिरिक्स,

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"हरि अनंत हरि कथा अनंता" मनोयोग से सुनो सुनो है सीता जनक सुजाता,  ध्यान लगा कर सुनो सुनो हे सीता जनक सुजाता,  हरी अनंत हरी कथा अनंता में सक्षिप्त सुनाता।  कथा यह जग कल्याणी है, कथा यह जग कल्याणी है, नायक राजा श्री राम, नायिका सीता रानी है प्राण प्रिय दोनों मेरे हैं प्राण प्रिय दोनों मेरे हैं,  दुःख संकट हरने वालों को अभी संकट घेरे हैं। श्री राम अयोध्या में प्रगटे, मिथला में प्रगटी देवी सिया, सीता की भगनिया तीन, राम ने तीन भ्रात संग जनम लिया,  आये प्रभु सिया स्वयबर में, और शिव के धनुष को तोड़ दिया,  दशरथ नंदन ने जनक नंदिनी का शुभ पाणिग्रहण किया।।  लक्ष्मी नारायण का जोड़ा सीता राम कहाता,  लक्ष्मी नारायण का जोड़ा सीता राम कहाता,  हरी अनंत हरी कथा अनंता में सक्षिप्त सुनाता।।  हर्ष से भरी राजधानी हर्ष से भरी राजधानी, की तीन तीन सासुओं चार वधुओ की अगुवानी,  रंग भरे दिन हैं सुखदाई प्रेम भरे दिन हैं सुखदाई उत्सव का वातावरण मांगलिक बाजे शहनाई,   उत्सव का वातावरण मांगलिक बाजे शहनाई।  सुख के दिन फीके पड़े विघ्ना हो गई वाम,  सुख के दिन फीके पड़े विघ्ना हो गई वाम,  बहुत दिनों आनंद से रह ना सके