बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना/tulsidas ji ne bhagwan ki mahima/binu pad chalai sunai binu kana
तुलसीदास जी ने भगवान का वर्णन इस दोहे के माध्यम से इस प्रकार किया है।
चौपाई
बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥
आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु बानी बकता बड़ जोगी।।
भावार्थ-
वह (ब्रह्म) बिना ही पैर के चलता है, बिना ही कान के सुनता है, बिना ही हाथ के नाना प्रकार के काम करता है, बिना मुँह (जिह्वा) के ही सारे (छहों) रसों का आनंद लेता है और बिना वाणी के बहुत योग्य वक्ता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें