धरती का सबसे ठंडा स्थान: –98°C की रहस्यमयी दुनिया!

 धरती का सबसे ठंडा स्थान: –98°C की रहस्यमयी दुनिया! 


धरती पर जहाँ एक ओर सहारा जैसी तपती रेगिस्तानी जगहें हैं,वहीं दूसरी ओर कुछ स्थान ऐसे हैं जहाँ ठंड कल्पना से भी परे है। ऐसा ही एक इलाका है पूर्वी अंटार्कटिक पठार (East Antarctic Plateau) जहाँ तापमान –98 डिग्री सेल्सियस तक गिर चुका है। यह न सिर्फ पृथ्वी का सबसे ठंडा स्थान है बल्कि एक ऐसी जगह भी है जहाँ इंसान का अस्तित्व कुछ ही मिनटों में समाप्त हो सकता है। 


कहाँ है यह जगह?

पूर्वी अंटार्कटिक पठार पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव के पास बर्फ से ढके ऊँचे क्षेत्र में स्थित है। यहाँ दो प्रसिद्ध स्थान हैं Dome Fuji और Dome Argus जिनके बीच यह रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई लगभग 3,800 मीटर है यानी यह क्षेत्र हिमालय के शिखरों जितनी ऊँचाई पर है। 


–98°C! आखिर इतनी ठंड क्यों पड़ती है?

इस क्षेत्र की ठंड कई कारणों का मिश्रण है:-

* ऊँचाई का असर: ऊँचाई बढ़ने पर तापमान अपने आप गिरता है।

* साफ़ आसमान: यहाँ बादल लगभग नहीं बनते,जिससे सतह की गर्मी सीधी अंतरिक्ष में निकल जाती है।

* ध्रुवीय रातें: अंटार्कटिका में सर्दियों के दौरान कई-कई हफ्तों तक सूरज नहीं निकलता,जिससे तापमान लगातार घटता जाता है।

* शांत हवा: हवा बिल्कुल स्थिर रहती है जिससे बर्फ की सतह के ऊपर की ठंडक वहीं जमी रहती है। 


इन सभी कारणों के मेल से तापमान –98°C तक पहुँच जाता है यानी बर्फ से भी ठंडी बर्फ।


इतनी ठंड में क्या जीवित रह सकता है?

यह सवाल वैज्ञानिकों को आज भी रोमांचित करता है। यहाँ कोई पौधा,कोई जानवर या इंसान नहीं रह सकता। लेकिन माइक्रोब्स और कुछ एक्स्ट्रीमोफाइल बैक्टीरिया (जो अत्यधिक ठंड में भी जीवित रह सकते हैं) के निशान पाए गए हैं। यही सूक्ष्म जीव हमें यह समझने में मदद कर सकते हैं कि मंगल या यूरोपा जैसे ग्रहों पर भी जीवन संभव हो सकता है। 



यहाँ इंसान कितनी देर रह सकता है?

–98°C पर मानव शरीर की सांस भी जम सकती है। कुछ सेकंड में त्वचा की कोशिकाएँ मरने लगती हैं और बिना सुरक्षा सूट के कोई व्यक्ति शायद 60 सेकंड भी जीवित न रहे। यहाँ का माहौल इतना शुष्क है कि यह जगह धरती का सबसे ठंडा और सबसे सूखा रेगिस्तान कहलाती है। 


यह तापमान किसने खोजा?

NASA के Landsat 8 सैटेलाइट और University of Colorado के वैज्ञानिकों ने 2018 में यह डेटा दर्ज किया। हालाँकि यह तापमान ज़मीन पर नहीं मापा गया था बल्कि सैटेलाइट द्वारा बर्फ की सतह से उत्सर्जित इन्फ्रारेड तापमान के रूप में देखा गया था यानि यह वास्तविक हवा का तापमान नहीं बल्कि सतह की ठंडक का सटीक माप था और यही इसे और रहस्यमयी बनाता है। 


धरती से परे की झलक

इस तरह की अत्यधिक ठंड हमें यह भी दिखाती है कि हमारी पृथ्वी के कुछ हिस्से मंगल या यूरोपा (बृहस्पति का उपग्रह) जितने ठंडे हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर वहाँ सूक्ष्म जीव जीवित रह सकते हैं तो अंतरिक्ष में जीवन के संकेतों की खोज अब पहले से अधिक संभव है। 


निष्कर्ष

पूर्वी अंटार्कटिक पठार सिर्फ बर्फ और ठंड का स्थान नहीं,यह पृथ्वी की सीमाओं का प्रतीक है,जहाँ प्रकृति अपनी अत्यधिक शक्ति और रहस्य दोनों दिखाती है। –98°C की यह दुनिया हमें यह याद दिलाती है कि हमारी पृथ्वी अभी भी अनगिनत रहस्यों से भरी है,जिन्हें खोजने की हमारी यात्रा अभी शुरू ही हुई है। 


रोचक तथ्य

–98°C पर अगर आप गर्म पानी हवा में फेंकें,तो वह तुरंत बर्फ के महीन कणों में बदल जाता है।

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