तुलसीदास जी का जीवन परिचय :- Tulsidas Ji Ka Jivan Parichay / Biography of Tulsidas in Hindi
तुलसीदास जी का जीवन परिचय :-
तुलसीदास एक हिंदू कवि-संत थे जो हिंदी, भारतीय और विश्व साहित्य में सबसे महान कवियों में गिने जाते थे। वह भक्ति काल के रामभक्ति शाखा के महान कवि भी थे।
वह भगवान राम की भक्ति के लिए मशहूर थे और वे ‘रामचरितमानस’ महाकाव्य के लेखक के रूप में हनुमान चालीसा के रचयिता के रूप में भी जाने जाते थे उन्होनें रामचरित मानस में भगवान राम का जीवन एक मर्यादा की डोर पर बांधा है।
तुलसीदास जी को मूल रामायण के रचयिता वाल्मिीकि जी का कलियुग का अवतार भी कहा जाता है। एक शानदार महाकाव्य के लेखक और कई लोकप्रिय कार्यों के प्रणेता तुलसीदास ने अपने जीवन के कामों के बारें में कुछ तथ्य दिए।
तुलसीदास जी के बारेमें :-
तुलसीदास जी का जीवन परिचय :-
“पन्द्रह सौ चौवन विसे कालिन्दी के तीर।
श्रावण शुक्ला सप्तमी, तुलसी धरयो शरीर।।”
तुलसी दास जी के माता-पिता :-
तुलसीदासकी माता का नाम हुलसी देवी जबकि पिता का नाम आत्माराम दुबे थे। कई सूत्र दावा करते हैं कि है कि तुलसीदास पराशर गोत्र (वंशावली) का एक सारूपरेन ब्राह्मण थे, जबकि कुछ कहते हैं कि वह कन्याकुब्जा या संध्याय ब्राह्मण थे। माना जाता है कि उनका जन्म राजापुर (चित्रकूट) में हुआ था।
रत्नावली के इस श्लोक से बदल गया तुलसीदास का जीवन:-
अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति।।
नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत ?
अर्थात् इस श्लोक के माध्यम से रत्नावली ने तुलसीदास जी से कहा कि – हाड़ मांस के शरीर से आप जितना प्रेम करते हैं, अगर उसके आधा प्रेम आपर भगवान राम से कर लें तो आप भाव सागर से पार हो जाएंगे।
ये कड़वे और सच्चे शब्दों ने तुलसीदास पर गहरा प्रभाव छोड़ा और उन्होनें परिवारिक जीवन का त्याग कर दिया और उन्होनें रत्नावली को अपने पिता के घर छोड़कर वे अपने गांव राजापुर लौट आए। और भगवान राम की भक्ति में लीन हो गए।
तुलसीदास जी का जीवन परिचय :-
ये उनके जीवन का सबसे सुखद पल था इसके लिए नीचे लिखा गया एक दोहा भी काफी मशहूर है –
चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर।
तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।
तुलसीदास जी की मृत्यु :-
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